विशेष संवाद दाता
नई दिल्ली : नवबंर 2020 में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव काके उम्मीदवार बिगुल फूंका जा चुका है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जहां अपने पहले आधिकारिक प्रचार विडियो में भारतीय प्रधाननमंत्री नरेंद्र मोदी को शामिल कर अमेरिका में रह रहे भारतीय-अमेरिकी समुदाय को साधने की कोशिश की है, वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी के उमीदवार जो बायडन ने भी भारत समर्थित बयान जारी कर अपनी स्थिती को सुधारने की कोशिश की थी।
लेकिन जो बायडन ने उपराष्ट्रपति पद के लिए कथित रूप से भारतीय मूल की कमला हैरिस को आगे कर जाहिर तौर पर अमेरिका में भारत वंशी नागरिकों के साथ साथ भारत सरकार को भी संशय में ला दिया है।
भारत सरकार की नीति है कि वो किसी भी देश के आंतरिक मामलों में न प्रत्यक्ष और ना ही अप्रत्यक्ष रूप से दखल देती है और ना ही किसी किस्म का प्रभाव डालती है। लेकिन कमला हैरिस को लेकर जरूर नई दिल्ली संदेह में है। कमला हैरिस भारत में चर्चा का विषय तब बनी जब उन्होंने कश्मीर में धारा 370 को हटाए जाने के भारतीय संसद का विरोध किया था।
यही नहीं कमला हौरिस ने कश्मीरी अलगाववादियों को समर्थन देते हुए उन्हें विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया था। यही नहीं कमला हैरिस ने भारतीय संसद से पारित हुए नागरिक्ता संशोधन विधेयक का भी जमकर विरोध किया था। अमेरिकी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मिथ्या प्रचार करने और मोदी सरकार के खिलाफ लॉबिंग करने में भी कमला आगे रही हैं। कमला हैरिस और प्रमिला जयपाल ने अमेरिकी संसद में भारत के नागरिक्ता संशोधन के खिलाफ प्रस्ताव पास कराने की भी कोशिश की थी।
वहीं दूसरी ओर अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों में भी कमला हैरिस को लेकर संशय बना हुआ है। कमला हैरिस ने खुद को हमेशा अश्वेत बताया है और कभी भी खुद को भारत से जोड़ कर नहीं देखा है। 55 साल की लॉ ग्रेजुएट कमला हैरिस उपराष्ट्रपति पद के लिए नामित होने वाली पहली अश्वेत अमेरिकन हैं। उनकी माता श्यामला गोपालन तमिलनाडु से अमेरिका जाकर बस गई थी।
जबकि उनके पिता डोनाल्ड जे हैरिस अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं जोकि अफ्रीकी मूल के हैं। ऐसे में कमला हैरिस के रूप में भारतीयों को उनमें भारतीय अंश जरूर दिख सकता है, लेकिन वो भारत के हित में काम करती हुई कभी नजर नहीं आई हैं। लिहाजा भारतीय अमेरिकी नागरिक नवंबर में होने वाले चुनाव में उन्हें अपना वोट देते हैं या नहीं इसको लेकर भी बड़ा सवाल बना हुआ है।
अमेरिका में अफ्रीकन अमेरिकन करीब 14 प्रतिशत हैं और पारंपरिक तौर पर ये वर्ग हमेशा से डेमोक्रेटिक पार्टी के नजदीक रहा है। अमेरीका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा डेमोक्रेटिक पार्टी के ही उम्मीदवार के तौर पर राष्ट्रपति चुने गए थे। माना जा रहा है कि जो बायडन ने कमला हैरिस को अफ्रीकन और भारतीय दोनों ही मूलों के नागरिकों को रिझाने के लिए ही उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित किया है। डेमोक्रेटिक पार्टी चुनाव जीतती है तो कमला हैरिस न सिर्फ अमेरिका की पहली अश्वेत उपराष्ट्रपति बनन सकती हैं बल्कि वो अमेरिका के उच्च सदन, सीनेट की भी अध्यक्ष बन सकती है।